यूं तो फरवरी साल का सबसे छोटा महीना होता है, लेकिन इस महीने में बनाई गई सभी यादें उम्रभर साथ रहती हैं। ये महीना अपने साथ कई प्यार भरी कहानियां लेकर आता हैं। वहीं जिस दिन का सभी प्रेमी जोड़े सालभर बेसब्री से इंतजार करते हैं वो घड़ी अब आ गई है। वैलेंटाइन डे ये वो दिन है जब दो प्यार करने वाले एक दूसरे के लिए जीने-मरने की कसमें खाते हैं और उम्र भर साथ रहने का वादा करते हैं। ये दिन दो प्यार करने वालों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सभी कपल एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार करते हैं। ये वो दिन है जब बेजुबां प्रेम को एक भाषा मिलती है, जो दो दिलों को जोड़ती है। इस दिन को प्यार और रोमांस का दिन भी कहा जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन को मनाने के पीछे क्या कहानी है। अगर नहीं तो आइए हम बताते हैं... वैलेंटाइन वीक का जिक्र ऑरिया ऑफ जैकोबस की किताब में किया गया है, यह दिन रोम के पादरी संत वैलेंटाइन (Saint Valentine) को समर्पित किया गया है। इस दिन को मनाने की शुरुआत रोम के तीसरी शताब्दी से हुई थी।
वैलेंटाइन डे का इतिहास
कहा जाता है कि 270 ईस्वी में एक संत वैलेंटाइन थे। उस समय क्लाउडियस नामक अत्यंत आक्रमणकारी राजा शासन करता था। वह प्रेम संबंधों से सख्त नफरत करता था। उसका मानना था कि एक अकेला सिपाही शादीशुदा सिपाही की तुलना में युद्ध के लिए ज्यादा प्रभावशाली होता है। क्योंकि शादीशुदा सिपाही को हमेशा अपनी पत्नी या प्रेमिका की फिक्र रहती है। यही वजह थी कि राजा प्रेम विवाह और प्रेम संबंध के खिलाफ था। एक बार तो राजा ने हद ही कर दी उसने ऐलान किया कि उसके राज्य का कोई भी सिपाही शादी ही नहीं करेगा और न ही किसी महिला के साथ प्रेम संबंधों में रहेगा।
जो भी राजा के इस आदेश का उल्लंघन करेगा उसे कड़ी सजा दी जाएगी। राजा के इस फैसले से सभी सिपाही काफी दुखी थे, लेकिन राजा के इस आदेश का किसी भी सिपाही ने उल्लंघन नहीं किया। लेकिन रोम के संत वैलेंटाइन को सिपाहियों के साथ ये नाइंसाफी बिल्कुल भी मंजूर नहीं थी इसलिए संत ने राजा से छुपकर युवा सिपाहियों की शादी करवानी शुरू कर दी। जो भी सिपाही अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहते थे वो सभी संत वेलेंटाइन के पास जाकर मदद मांगते थे।
इस तरह वेलेंटाइन ने बहुत से सिपाहियों का गुप्त विवाह करवाया, लेकिन कुछ दिनों बाद वैलेंटाइन के इस काम के बारे में राजा को भनक लग गई और उन्होंने संत वैलेंटाइन को जेल में बंद कर मौत कड़ी सजा सुना दी। जेल के चारदीवारी में बंद होने के बाद वैलेंटाइन अपनी मौत का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान स्टीलियश नाम का एक जेलर उनके पास आया।
दरअसल, रोम के लोगों का कहना था कि संत के पास एक चमत्कारिक शक्ति थी, जिससे वह लोगों की बीमारियां दूर कर सकते हैं। जेलर को इस बारे में पता चल गया था और उसने अपनी अंधी बेटी को ठीक करने के लिए संत से मिन्नत की। जेलर के कहने पर संत वेलेंटाइन ने उसे ठीक कर दिया, लेकिन कोई भी उन्हें मौत की सजा से बचा नहीं पाया और 14 फरवरी के दिन उन्हें फांसी लगा दी गई। इसलिए संत वैलेंटाइन की याद में 14 फरवीर कों वैलेंटाइंस डे मनाया जाता है।