अब एक माह तक सभी प्रकार के शुभ कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा। क्योंकि 16 दिसम्बर से खरमास आरंभ होने वाला है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास को अशुभ माना जाता है। जब सूर्य गोचरवश धनु और मीन में प्रवेश करते हैं तो इसे क्रमश: धनु संक्रांति एवं मीन संक्रांति कहा जाता है। सूर्य किसी भी राशि में लगभग एक माह तक रहते हैं। सूर्य के धनु राशि एवं मीन राशि में स्थित होने की अवधि को ही खरमास अथवा मलमास कहा जाता है। मलमास में वैवाहिक कार्य और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। गृह प्रवेश नींव पूजन, नवीन व्यापार, विवाह, सगाई सहित सभी शुभ कार्य खरमास में वर्जित माने गए हैं। मलमास में ईश्वर की आराधना एवं पूजन,अर्चन, भागवत कथाएं, रामायण कथा, रामायण का पाठ, मंत्र जाप धार्मिक कृत्य किए जा सकते हैं।
इसके साथ ही इस साल का आखिरी विवाह मुहूर्त 13 दिसंबर रहा। 15 दिसंबर अंतरात्रि बाद से खरमास शुरू हो जाएगा जोकि 14 जनवरी दोपहर तक रहेगा। इसके बाद विवाह की शहनाइयां नए साल में 15 जनवरी से गूंजनी शुरू होगी। दूसरी तरफ आने वाले नए साल में विवाह मुहूर्त का टोटा नहीं रहेगा। यद्यपि साल में केवल 8 माह ही विवाह होंगे, परंतु इस अवधि में 87 दिन शुभ विवाह लग्न मुहूर्त रहेंगे। बीते वर्ष में सिर्फ 62 दिन ही शुभ मुहूर्त थे। इसमें भी कोरोना के चलते विवाह कम हुए थे।
खरमास में यह करें
- खरमास के महीने में पूजा-पाठ, धर्म-कर्म, मंत्र जाप, भागवत गीता, श्रीराम की कथा, पूजा, कथावाचन, और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
- दान, पुण्य, जप और भगवान का ध्यान लगाने से कष्ट दूर होते हैं।
- इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है। शिवजी के अलावा खरमास में भगवान विष्णु की पूजा भी फलदायी मानी जाती है।
- खरमास के महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तांबे के लोटे में जल, रोली या लाल चंदन, शहद लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। ऐसा करना बहुत शुभ फलदायी होता है।
क्यों बंद होते हैं शुभ कार्य?
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, धनु राशि का स्वामी बृहस्पति होता है। कहते हैं कि बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश इंसान के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसा होने पर कुंडली का सूर्य कमजोर हो जाता है। इस राशि में सूर्य के मलीन होने के कारण से इसको मलमास तक कहा जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है। जिस कारण से शुभ कार्यों में पाबंदी होती है।