सोमवती अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने हरिद्वार के महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान किया। शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़े मां गंगा में स्नान करेंगे, जिसमें सात सन्यासी अखाड़े, तीन बैरागी व तीन वैष्णव अखाड़े शामिल हैं। उत्तराखंड सूचना विभाग ने बताया कि सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा हर की पौड़ी पर पहुंचकर मां गंगा में डुबकी लगाएंगे। मान्यता है कि शाही स्नान के दनि गंगा में डुबकी लगाने से अमरत्व के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ में अगले तीन दिनों तक लगातार पडने वाले विशेष स्नान पर्वों पर हर की पैडी ब्रहमकुंड में आम श्रद्धालु गंगा में डुबकी नहीं लगा सकेंगे । कुंभ मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि 12 अप्रैल को महाकुंभ का सोमवती अमावस्या का दूसरा शाही स्नान, 13 अप्रैल को नव संवत्सर का स्नान और 14 अप्रैल को बैसाखी का तीसरा शाही स्नान है जिनमें सभी 13 अखाडों से जुडे साधु संत स्नान करते हैं । इन पर्वों पर हर की पैडी, ब्रहमकुंड और आसपास के घाटों पर श्रद्धालुओं द्वारा स्नान नहीं किया जा सकेगा क्योंकि वे साधु संतों के लिए आरक्षित रहते हैं।
गुंज्याल ने श्रद्धालुओं से इन विशेष स्नान पर्वों पर स्नान के लिए नीलधारा जैसे अन्य सुंदर और प्राकृतिक घाटों का उपयोग करने की अपील की । वहीं साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सहित आधा दर्जन से अधिक संतों के कोविड-19 पीड़ित होने से संत समाज और मेला प्रशासन में खलबली मच गई है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कुंभनगरी में रविवार को निरंजनी अखाड़े के एक और जूना अखाड़ा के दो और संतों में महामारी की पुष्टि हुई । नए मामलों को मिलाकर अब तक दोनों अखाडों में कुल नौ संत कोविड-19 पीड़ित पाए गए हैं।
महाकुंभ मेले के लिए उत्तरदाई अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के महंत नरेंद्र गिरी की रविवार को आई जांच रिपोर्ट में कोविड-19 की पुष्टि होने से महाकुंभ अधिकारियों में हड़कंप मच गया है । पृथकवास में रह रहे महंत नरेंद्र गिरी के कोविड-19 ग्रस्त होने के बावजूद रविवार को उनसे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने निरंजनी अखाड़ा पहुंचकर मुलाकात की । इस दौरान किसी ने भी उन्हें महंत नरेंद्र गिरी से मिलने से नहीं रोका।