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Parenting Tips: अपनी बात मनवाने के लिए जिद करता है बच्चा तो सुधारने के लिए अपनाएं ये टिप्स

Parenting Tips: आमतौर पर सभी बच्चे थोड़ी-बहुत शैतानी तो करते ही हैं, ऐसा होना स्वाभाविक भी है। लेकिन जब बच्चा बहुत ज्यादा शैतानियां करने लगे या आपके मना करने पर भी ना माने तो समझ जाइए कि वह जिद्दी हो चुका है, या कहें बिगड़ चुका है। जब बच्चा नियंत्रण से बाहर बिगड़ैल और जिद्दी हो जाए तो पैरेंट्स के लिए समस्या बन जाती है। जिद्दी-बिगड़ैल बच्चे ना केवल आपकी परेशानी और तनाव के कारण बनते हैं, यह स्वभाव उनके भावी जीवन के लिए भी अच्छा नहीं होता है। ऐसा आपके साथ ना हो, इसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे को बिगड़ैल या जिद्दी होने से पहले ही उसे संभाल लें। बिगड़ैल बच्चे की पहचान बिगड़ैल बच्चे हर बार अपनी जिद मनवाना चाहते हैं। बात-बात पर गुस्सा करने लगते हैं। उन्हें अपने पैरेंट्स, घर के बड़े सदस्यों या मेहमानों-पड़ोसियों की परवाह नहीं होती है। गुस्सा होने पर घर के सामान तोड़फोड़ करने लगते हैं। ऐसे बच्चे अकसर रात में देर तक जागते हैं और दिन में सोते हैं। बिगड़े बच्चे की एक निशानी यह भी है कि वे बात-बात पर अपने पैरेंट्स को इमोशनल ब्लैकमेल करने की कोशिश करते हैं। अपने क्लासमेट्स और फ्रेंड्स से लड़ते-झगड़ते रहते हैं। ऐसे बच्चों की आस-पड़ोस से बार-बार शिकायतें भी सुनने को मिलती हैं।

समझने होंगे कारण जब बच्चा बिगड़ जाए या जिद्दी हो जाए तो उसकी वजह जाने बिना उसको सुधारा नहीं जा सकता। इसके लिए जरूरी है कि आप सबसे पहले बच्चे के बिगड़ने की वजह पर गौर करें। हालांकि बच्चे में गुस्सा होने के कुछ आनुवांशिक कारण भी होते हैं। बेचैनी की कुछ स्वास्थ्य संबंधी वजहें भी हो सकती हैं, लेकिन ये स्थायी नहीं होती हैं। बच्चे के जिद्दी स्वभाव के लिए उसके घर, आस-पड़ोस का परिवेश, पैरेंट्स और दूसरे फैमिली मेंबर्स का बिहेवियर बहुत मायने रखता है। इन बातों पर गौर करें : अपने बिगड़े बच्चे को संभालने के लिए या बच्चे को जिद्दी- गुस्सैल बनने से रोकने के लिए आपको अपने पैरेंटिंग स्टाइल में कुछ बातों पर सख्ती से अमल करना होगा।

लिमिट तय करें: बच्चे को अगर शुरू से यह क्लियर कर दिया जाए कि उसे कुछ भी करने, कहने या जिद करने की छूट नहीं है तो उसका स्वभाव नियंत्रित ही रहेगा। उसे यह जताना जरूरी है कि उसकी शैतानियों की एक लिमिट है, एक सीमा है। इससे बाहर जाने की इजाजत उसे नहीं मिलेगी। टाइम फिक्स करें: अगर बच्चे के पढ़ने-लिखने, खेलने, सोने, खाने-पीने, टीवी देखने या स्क्रीन टाइम की समय सीमा तय कर दें तो वह उसी नियम में बंध जाएगा। इस नियम का पालन ना करने पर आप उसके साथ सख्ती से पेश आएं, इससे वह अगली बार आपके बनाए गए नियमों को नहीं तोड़ेगा। इससे उसमें अनुशासित होने के गुण भी विकसित होंगे। खुद में करें बदलाव: आपने जो नियम अपने बच्चे के लिए बनाए हैं, उस पर अडिग रहें। साथ ही आप स्वयं भी उन बातों और नियमों पर अमल करें, जैसा आप बच्चे से अपेक्षा करती हैं। बच्चे के सामने गुस्सा ना करें, घर के दूसरे सदस्यों से झगड़ा ना करें, इससे आप अपने बच्चे के आइडियल बन सकते हैं। हर बच्चा होता है स्पेशल अपने बच्चे की परवरिश के दौरान सभी पैरेंट्स को यह बात समझनी चाहिए कि हर बच्चा अपने आपमें स्पेशल होता है। हर बच्चे को अलग किस्म की परवरिश की जरूरत होती है। इसलिए सभी बच्चों पर एक जैसे पैरेंटिंग के नियम लागू नहीं हो सकते हैं। उन्हें पालने के लिए मशीनी तौर-तरीके नहीं आजमाए जा सकते। बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे के स्वभाव को समझकर, उसके अनुसार उसकी परवरिश करें। इससे बच्चे का स्वभाव निश्चित ही गुडी-गुडी होगा।

 

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